कांच की दीवार के पीछे से ललचाती तितलियां। देह व्यापार का खुला बाज़ार। लाइव अडल्ट शो, कैबरे, पोल डांस, देह व्यापार के बेशुमार अड्डे और जाने क्या क्या। अपने अनोखे रेड लाइट डिस्ट्रिक्ट के लिए दुनिया भर में मशहूर है एमस्टर्डम। हालांकि कुछ समय से अटकलें तेज हैं कि इस जगह को शहर से बाहर कर दिया जाएगा ताकि शहर कि छवि सुधर सके पर इस बात को नजरंदाज नहीं किया जा सकता कि इस शहर का हालिया पर्यटन बहुत कुछ रेड लाइट डिस्ट्रिक्ट पर ही निर्भर करता है।
हमारा दूसरा दिन हमने शहर को और करीब से देखने में गुजारा। पहली रात क्लब क्रॉल के बाद 4 बजे सोए तो उठते उठते 12 बजने ही थे। मुझे लगा था नाश्ता गया क्योंकि ज्यादातर होटलों में ज्यादा से ज्यादा 10.30 बजे तक ब्रेकफास्ट बंद हो जाता है। पर यहां 12.30 तक रहता है। भई रात का शहर है ये सब जानते हैं इसलिए सभी के लिए सुबह देर से ही होती है।
खुशी खुशी नाश्ता करके हम फिर सिटी सेंटर के लिए निकल पड़े। आज का पहला पड़ाव था म्यूजियम ऑफ प्रॉस्टिट्यूशन। जी हां। पहले दिन ही टिकट ले रखी थी तो जल्दी से एंट्री करके हम अंदर पहुंचे। देखा तो एक छोटी सी दो मंजिला मकान को ही म्यूजियम बनाया हुआ था। थोड़ी निराशा हुई। खैर पूरी तसल्ली से धीरे धीरे सारी ऑडियो रिकॉर्डिंग को सुनते सुनते भी एक घंटे में टूर ख़तम हो गया। पर इस एक घंटे में हम एम्स्टर्डम में वैश्यावृति के जुड़े इतने सारे पहलुओं से रूबरू हुए कि जिस छोटे से म्यूजियम के अंदर जाते हुए हमें लगा कि पैसे की बर्बादी है अंत में हम खुश थे कि ये टूर किया। इस देश में और इस शहर में वैश्यावृति के इतिहास, अभी के स्टेटस, इस व्यापार की मोडस ऑपरेंडी, लड़कियों की मजबूरियां, परेशानियां, लालच, लाचारियां जैसे इतने सारे पहलुओं को अगर करीब से जानना है तो ये टूर जरूर करें। इंसान की खरीद फरोख्त सही नहीं, पर सदियों से चले आ रहा ये व्यापार आज भी दुनिया भर में लगभग हर देश में होता है। फर्क सिर्फ ये की यहां ये खुले आम है, कानूनी है, गवर्नेंस के अन्तर्गत होता है जबकि बाकी जगह यही काले साए में, चोरी छुपे, गैरकानूनी तरीके से होता है। और इसी वजह से यहां के सेक्स वर्कर्स की जिंदगी बाकी जगह की प्रॉस्टिट्यूट्स से कहीं बेहतर है। वो बात अलग है कि दलाल यहां भी होते हैं हो कई बार बहला फुसला के लड़कियों को यहां लाते हैं और उनकी कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा खुद रखते हैं।
म्यूजियम ऑफ प्रॉस्टिट्यूशन को देखने के बाद हम रेड लाइट डिस्ट्रिक्ट देखना चाहते थे पर वो एरिया शाम 7 बजे के आस पास ही एक्टिव होना शुरू होता है इसलिए हमने विश्व प्रसिद्ध ‘रिक्स म्यूजियम (Rijsk museum) की तरफ रुख किया। वान गौघ म्यूजियम की टिकट नहीं मिल पाई थी जो प्रसिद्ध पेंटर विंसेंट वॉन गोघ की पेंटिंग्स और आर्किटेक्चर अर्टिफैक्ट्स का संग्रहालय है। रिक्स म्यूजियम भी अपने आप में नायाब है। दुनिया भर के सबसे बड़े संग्रहालयों में एक रिक्स म्यूजियम में इतिहास और कला से जुड़े 8000 से ज्यादा मास्टर पीसेज हैं। कुछ विश्व प्रसिद्ध पेंटिंग्स में वर्मियर मिल्कमेड, वान गॉग की सेल्फ-पोर्ट्रेट और रेम्ब्रांट की सबसे प्रसिद्ध पेंटिंग: द नाइट वॉच। इनके अलावा फ्रांसेस हॉल, जान स्टीन, वर्मीर और रेम्ब्रांट के चित्रों के साथ गैलरी ऑफ ऑनर; ब्लू पॉटरी का भव्य संग्रह देखने लायक है। इतिहास और कला के शौकीन लोगों के लिए स्वर्ग से कम नहीं और सिर्फ इस म्यूजियम में ही आप पूरा दिन गुजार सकते हैं।
रिक्स म्यूजियम से देर शाम निकालने के बाद हम फिर रेड लाइट डिस्ट्रिक्ट की तरफ निकल पड़े। बड़ी सी खूबसूरत नहर जिसपे हर आधे मील पे है एक पुल। पुल के दोनों तरफ लटकते बड़े से फूलों के गुलदस्ते और रंग बिरंगी रोशनी। थोड़ी थोड़ी दूर पर बैठे हैं प्रेमी जोड़े। रात के 8 बजे सड़क के किनारे बने सारे रेस्तरां, पब भरे हैं और चारों तरफ से आ रही हैं हंसने खिलखिलाने की आवाज़ें। लगता है दुनिया बहुत खूबसूरत है, सब अच्छा है और सबके अच्छे दिन चल रहे हैं। एक पल को आप सिविल वार, डोनाल्ड ट्रंप, मोदी, राहुल, करप्शन, कश्मीर, नौकरी, टेस्ला, प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग वगैरह वगैरह भूल जाते हो।
इन गलियों से गुजरते हुए दोनों तरह दिखती हैं कांच की दुकानें जिनके पीछे खड़ी अप्सराएं लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए तरह तरह से रिझा बुला रही हैं। कई लोग दरवाजा खोल कर बात कर रहे हैं, कुछ अंदर चले जाते हैं, कुछ मोल भाव करके बाहर आ जाते हैं। कुछ बाहर से ही देखते हैं, कुछ अपने ग्रुप में हंसते हंसते उस अनुभव का मज़ा ले रहे हैं। कई जगह लाइव शो हो रहे हैं। पीप शो भी हैं जिनमें बस 2-3 यूरो में कुछ मिनट तक लोग लाइव शो देख सकते हैं।
कुल मिला कर इस गली, इस शहर में होना एक बहुत अलग अनुभव है जो लंबे समय तक याद रहेगा।
हां बस एक लड़की होने के नाते कभी कभी सोचती हूं उन लड़कियों के बारे में जो चाहे पैसे के लालच या मजबूरी जो भी हो, पर खड़ी हैं इस बाज़ार में। जो लेती हैं इस कांच के डब्बे को किराए पे एक शिफ्ट के लिए। और फिर तैयार होकर खड़ी होती है बिकने के लिए। पर क्या वो सिर्फ अपना शरीर बेचती हैं या रोज़ कुचलती हैं अपनी आत्मा को । कैसा लगता होगा तिरस्कार सहना, रिजेक्ट होना, मोल भाव करना और क्या खुशी होती होगी जब सौदा हो जाता है और कोई आ जाता है अंदर उस कांच के पीछे की डिबिया में, जो उसने किराए पर लिया है उस शिफ्ट के लिए…..
जगह जगह लिखा है इस गली में….. “respect sex workers”
I think it should say. Humans should not be bought and sold. Say no to human trafficking. Say no to exploitation.
(योजना साह जैन)
टिप्पणी: लेख में व्यक्त किए गए विचारों एवं अनुभवों के लिए लेखक ही उत्तरदायी हैं। संस्थापक/संचालक का लेखक के विचारों या अनुभवों से सहमत होना अनिवार्य नहीं है।
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