
विशाखापत्तनम म्युनिसिपल कार्पोरेशन म्यूजियम “विशाखा म्यूजियम” के नाम से जाना जाता है। एक पुराने डच बंगले को म्यूजियम में बदल सन 1991 में जनता के लिए खोल दिया गया। विशाखापत्तनम के प्रसिद्ध आर के पुरम बीच के सामने स्थित इस म्यूजियम ने आंध्र और कलिंग की संयुक्त विरासत को सहेज कर रखा है। यूँ तो यहाँ म्यूजियम में देखने के लिए इस क्षेत्र के पूर्व शासकों द्वारा प्रयोग किए हथियार, पेंटिंग्स , पांडुलिपियां, सिक्के, पोशाक, आभूषण, बर्तन के अलावा बहुत कुछ है लेकिन म्यूजियम में कुछ चीज़ें ऐसी प्रदर्शित की गई है जिन्हें देखकर आप रोमांच से भर उठते है।

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान द्वारा विशाखापत्तनम पर डाले गए डाले गए बॉम्ब का शैल आज भी उस विभीषिका की कहानी सुनाता है जिसका गवाह विशाखापत्तनम रहा है। बात चाहे 1942 के दूसरे विश्व युद्ध की हो या 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध की, विशाखापत्तनम ने अपनी भूमिका को हमेशा सशक्त तरीके से निभाया है। 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान जब पाकिस्तान की पहली फ़ास्ट अटैक सबमरीन भारत के एक युद्ध पोत को अपना निशाना बनाना चाहती थी ठीक उसी समय भारत की एक दूसरे युद्ध पोत आए एन एस राजपूत ने उसे नेस्तनाबूद कर दिया, पाकिस्तान की उसी पनडुब्बी गाज़ी के कुछ टूटे हुए हिस्से आज भी विशाखा म्यूजियम में भारतीय नौसेना के पराक्रम की दास्तान को तारो ताज़ा कर देते हैं।

म्यूजियम में कलवारी क्लास, सिंधुघोष क्लास व अन्य क्लास की पनडुब्बियों के मॉडल भी प्रदर्शित किए गए हैं। यदि सामान्य शब्दों में समझा जाए तो यह कहना शायद गलत ना होगा कि पनडुब्बियों की एक पीढ़ी को एक क्लास कहा जाता है। म्यूजियम में नौसेना के लड़ाकू हवाई जहाज व युद्ध पोतों के भी मॉडल्स प्रदर्शित है।

एस एस जल ऊषा नामक पोत जिसका निर्माण विशाखापत्तनम में ही हुआ था, उसका लोकार्पण भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1948 में नारियल फोड़ कर किया था, वह नारियल भी आज तक यहाँ पर संग्रहित है। म्यूजियम के एक तल पर गार्ड की बैठी हुई मूर्ति भी है जो बड़ी सजीव जान पड़ती है। म्यूजियम में भारत का सबसे बड़ा तिरंगा भी रखा गया है, और भी कई चीज़ हैं जो विस्मित कर देने वाली हैं।

यह म्यूजियम आपको नौसेना व कलिंग व आंध्र के सयुंक्त इतिहास व संस्कृति के बारे बहुत ही रोचक जानकारी प्रदान करता है। आप अपनी विशाखापत्तनम यात्रा में दौरान इसको अपने घूमने वाले स्थानों की लिस्ट में जोड़ना ना भूलिएगा।
-सचिन देव शर्मा