
विशाखापत्तनम से लगभग नब्बे किलोमीटर दूर अनंतगिरि पर्वतश्रृंखला में स्थित है बोर्रा केव्स ।सन 1807 में विलियम किंग नामक ब्रिटिश जियोलॉजिस्ट ने इसकी खोज की थी। ऐसा माना जाता है कि बोर्रा केव्स 150 मिलियन वर्ष यानी पंद्रह करोड़ वर्ष पुरानी हैं। जब बोर्रा केव्स के मुख्य प्रवेश के विशाल आकर को देखते हैं तो वह दृश्य सभी कल्पनाओं को पीछे छोड़ अनुभव के नए आयाम गढ़ता है। दो सौ मीटर लंबी इस गुफा की गहराई लगभग अस्सी मीटर है। गुफा को अंदर से देखने के लिए लगभग तीन सौ पच्चीस मीटर गुफा के अंदर ही अंदर ट्रैकिंग करनी होती है। गुफा के अंदर पानी के रिसाव व पत्थरों के बीच होने वाली रासायनिक क्रिया के फलस्वरूप बने खनिज स्तंभों जिन्हें इंग्लिश में स्टालगमाइट्स व स्टालेकटाइट्स कहते हैं अपनी तरह-तरह की आकृतियों से पर्यटकों को विस्मित कर देते हैं।
आश्चर्यचकित कर देने वाली बात यह भी है कि रेलवे ट्रैक भी बोर्रा केव्स के ऊपर से गुजरता है व गोस्थानी नदी भी बोर्रा केव्स के पास से ही बहती है। बोर्रा केव्स में तीस हज़ार साल से पचास हज़ार साल पुरानी मानव सभ्यता के प्रमाण भी मिले हैं। गुफा के काफी अंदर एक प्राकृतिक शिवलिंग भी स्थापित है जिसकी पूजा अर्चना के लिए पुजारी भी वहाँ होते हैं, वहाँ तक जाने के लिए पहले गुफा में बनी सीढ़ियों द्वारा गुफा के तल तक जाना पड़ता है और फिर तल से दूसरी दिशा में वापस लोहे की बनाई गई सीढ़ियों से ऊपर चढ़ना पड़ता है, यह सीढियाँ ऊपर जाते जाते काफी संकरी हो जाती हैं। कुल मिलाकर बोर्रा केव्स देखने का अनुभव बहुत ही रोमांचक व अचंभित कर देने वाला है।
-सचिन देव शर्मा
Wah sir kash aur photos hoti wha ki …Agar aap dal ske …Badhiya post👍
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