यूँ तो ‘वेनिस ऑफ ईस्ट’ कहा जाने वाला केरल का ‘अल्लेप्पी’ अपने बैक वाटर्स टूरिज्म के लिए मशहूर है। बैकवाटर्स में घंटों-घंटों पर्यटकों को घुमाने वाली राइस बोट व शिकारा बोट आपके सामने बैकवाटर्स का पर्यटकों को लुभाने वाला स्वरूप पेश करती हैं। इन्हीं बोट्स पर घूमते हुए आपका सामना अलेप्पी के सामान्य जन-जीवन से भी होता है। नहीं कह सकता कि यह वहाँ पर रहने वाले लोगों का संघर्ष है या उनका अपने जीवन को जीने का अंदाज़ या फ़िर उन्होंने अपने संघर्ष को ही अपना जीवन बना लिया है लेकिन मुझे देखने में नया और निराला लगा। बैकवाटर्स के निर्मल जल में नौका विहार करते हुए आप हाई स्पीड मोटर बोट्स को देखते हैं तो उसमें नौका विहार करते दिखते हैं धन सम्पन्न लोग। कुछ ऐसे छोटे हवाई जहाज़ भी वहाँ के लिए चलते हैं जो पानी पर लैंड कर सकते हैं। विदेशी पर्यटक और संपन्न लोग इन सेवाओं का उपयोग करते हैं।
लेकिन ज्यों ही बैकवाटर्स की बनी इस लेक से जुड़ी हुई कैनाल्स में मुड़ते हैं तो अल्लेप्पी का सामान्य जन जीवन उभर कर सामने आ खड़ा होता है। जैसे हम अपने स्कूटर में किक मारकर अपने पास के बाज़ार सामान लेने जाते हैं उसी तरह से वहाँ लोग छोटी-छोटी नौकाओं से निकल पड़ते हैं बाज़ारों की ओर अपनी जरूरतों का सामान लेने। उसी कैनाल के पानी से पानी भरते, नहाते और कपड़े धोते लोगों का देखना हमें एक अनोखा दृश्य लगता है लेकिन वहाँ के लोगों के लिए रोज़मर्रा के काम। ज़्यादातर मकानों को देखकर ऐसा लगता है कि शायद वहाँ रह रहे लोग साधन संपन्न नहीं हैं लेकिन कुछ मकानों को देखकर लगता है कि उन मकानों के मालिक सम्पन्न लोग हैं।
ज़्यादातर लोग खेती बाड़ी करते, धान बोते हुए देखे जा सकते हैं। कुछ लोग बड़ी-बड़ी राइस बोट चलाते हैं या फ़िर उन पर काम करते हैं कुछ लोग शिकारा जैसे बोट्स चलाते हैं तो फ़िर कुछ लोग छोटे मोटे होटल्स। कुछ लोग इन सब लोगों के एजेंट्स के तौर पर पर्यटकों को इनके पास तक लाने के काम में लगे रहते हैं तो कुछ मछलियाँ पकड़ते हैं। टूरिज्म के लिए पर्दे के पीछे काम करते इन लोगों के जीवन में झाँक कर देखना अपने आप में एक अनूठा अनुभव था जो मैंने अपने अनुभवों में जोड़ लिया था।
-सचिन देव शर्मा